बेगूसराय के कोचिंग संस्थान कर रहे बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़

बेगूसराय में बच्चों को विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं एवं अन्य कक्षाओं की कोचिंग देने वाले अधिकतर संस्थान बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का दावा करने वाले ये बड़े प्राइवेट कोचिंग संस्थान पेरेंटस से मोटी रकम वसूल रहे है। वहीं इन संस्थानों में बात अगर सुरक्षा की हो तो इंतजाम बिल्कुल शून्य है। बेगूसराय के कोचिंग संस्थानों में आग से सुरक्षा को लेकर भारी गड़बड़ियां हैं। शहर में ऐसा एक भी कोचिंग संस्थान नहीं है जिसके पास फायर एनओसी हो। यानी किसी भी कोचिंग संस्थान के पास जिला प्रशासन की अनुमति नहीं है। इसके अलावा जिन कांप्लेक्स में कोचिंग चलते हैं उनके पास भी नगर निगम द्वारा पास किया नक्शा नहीं है। इन तकनीकी पहलुओं पर प्रशासन ने भी ढील दे रखी है, जिसका नतीजा है कि मनमाने ढंग से चल रहे कोचिंग कम जगह में छात्र भरते जा रहे हैं। इस दौरान उन्हें बच्चों की सुरक्षा का बिल्कुल भी खयाल नहीं है। जितना चाहे बेंच लगा कर वे किसी तरह अपना फायदा देख रहे हैं। अभिभावक भी इस ओर संवेदनशील नहीं हैं।

सुरक्षा मानकों के अनुसार सभी कांप्लेक्स या भवनों के पास फायर एनओसी होना अनिवार्य है। एनओसी देने से पहले कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण किया जाता है, इसमें सुरक्षा मानकों के अनुरूप सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है। यदि प्रशासन कोचिंग को मानकों के अनुरूप नहीं पाता है तो उसे एनओसी देने से मना कर सकता है। बेगूसराय में अभी तक ऐसा एक भी संस्थान नहीं है जिसने एनओसी के लिए आवेदन भी दिया हो।

कोचिंग खुलने के पूर्व शिक्षा विभाग को जानकारी दिया जाना अनिवार्य है। लेकिन बेगूसराय के ज्यादातर कोचिंग इस नियम के भी विरुद्ध हैं। विभाग को सूचना नहीं होने के कारण भी कोचिंग अपनी मनमानी करने में कामयाब हैं। ऐसी स्थिति में जगह से ज्यादा बच्चों के नामांकन के कारण हर क्लास में उनकी संख्या अधिक होती है। इमरजेंसी की स्थिति में यह खतरनाक है। लेकिन किसी भी कोचिंग को इससे कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।

ज्यादातर कोचिंग में आग बुझाने का कोई यंत्र नहीं है। मामूली चिंगारी भी यदि आग का रूप ले लेती है तो उसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है। ऐसे में कोचिंग संस्थानों की स्थिति सवालों के घेरे में है। साफ है कि इन संस्थानों पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। आग के अलावा अन्य सुरक्षा मानकों का भी स्पष्ट उलंघन होता दिख रहा है। लेकिन फिर भी प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

:- आलोक कौशिक

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